मैं बना बनाया बेवकूफ (किसान ) हूँ



देश का प्रधानसेवक बोधि वृक्ष की पूजा कर रहा हैखजांची लंदन में गांधीजी की प्रतिमा का अनावरण कर रहा है और मुख्य विपक्षी संकट ग्रस्त प्रजाति का अल्पविकसित प्राणी दृश्य से ही गायब है। एक मैं हूँ बिना सर्दी,गर्मी,बरसात की परवाह किये अध् नंगे बदन से रात दिन अपने पुरुषार्थ में लगा हुआ हूँ। क्योंकि मैं  किसान हूँ। मैं बिना सब्जी के सूखी रोटी खाकर आपकी थाली में सब्जियां जरूर सजाता हूँ। मैं खुद भूखा रहकर आपको समय से खाना मिले इसकी व्यवस्था में लगा हुआ हूँ।खुद नंगे पांव चलता हूँ ताकि आपके पैरों में कांटा न चुभ सके। मेरे बच्चों को एक जोड़ी कपडे दिलाकर साल निकाल देता हूँ ताकि आपके बच्चे रंग-बिरंगे कपड़ों में खिल सके। मेरे बच्चों को स्कूल से निकालकर खेत में लगा देता हूँ ताकि आपके बच्चे पढ़कर मेरे देश का नाम रोशन करेंगे। मैं अपने पुरुषार्थ को भली भांति जानता हूँ क्योंकि मैं किसान हूँ। मैं हर सदी में,हर राज में,हर युग में सताया गया हूँ । मैं हर लुटेरे की गिरफ्त में फंसकर लूट चुका हूँ,मैं हर प्राकृतिक आपदा का शिकार होने वाला पहला प्राणी हूँ। मैं हर शासकीय फैसले से प्रभावित होने वाला पहला नागरिक हूँ,उपरवाले की बेदर्दी का हिसाब चुकाने वाला पहला नारकीय जीव हूँ। फिर भी अपने उद्देश्य के लिए डटा हुआ हूँ। मुझे अपने कर्तव्यो का पालन भली भांति आता है क्योंकि मैं किसान हूँ। मुझे न वातानुकूलित घर चाहिए न गाडी चाहिए। मुझे टीवी पर भी दिखने का कोई शौक नहीं है। मुझे ऊँचे ऊँचे मचानों से भाषण देने की भी कोई इच्छा नहीं है। मुझे मुफ़्त में खाने-पिने से भी सख्त नफरत है।मैं तो घर आये इंसान को भगवान मानता हूँ। उसकी सेवा में ही मेवा ढूंढ लेता हूँ। मुझे बड़े बड़े बंगलों में नींद नहीं आती। ज्यादा चमचमाती सड़कों पर चढ़ने से भी डर लगता है। मैं खेत तक सीमित हूँ। अपनी औकात में रहकर जीना मैं भली भांति जानता हूँ। एक रुपया किलो गेहूं या सब्जी महँगी हो जाने पर बीच सड़क पर खड़े होकर छाती पीटने वालों पर मुझे तरस आ जाता है उनके लिए सोचता हूँ थोड़ी सब्जी व् धान ज्यादा पैदा करूँगा ताकि इनको परेशानी न हों। 

आज विपरीत परिस्थतियों से जूझ रहा हूँ। मेरे सपनो के चिथड़े बिखरे चहुँ और पड़े है।आपका हर समय ख्याल रखने वाला आज खुद बेहाल खड़ा आंसू भरे नैनों से गाँव की तरफ आने वाले हर मार्ग को निहार रहा है। मैं जानता हूँ मेरे आंसुओ की हर बून्द से भी कमाने वाले लोग आएंगे।झूठी दिलासा देने वाले लोग भी आएंगे। दारू पीकर मरने वालों को लाखों रुपये के चेक देकर हमे सिर्फ मुआवजे का आश्वासन देने वाले लोग भी आएंगे।अपनी माँ को वृद्धाश्रम में अपने हाल पर छोड़कर मेरी माँ के आंसू पोंछने का दिखावा करने वाले लोग भी आएंगे।मुझे कोई शिकायत नहीं है इनसे।यह उनका धंधा हैं।मैं भली भांति जानता हूँ कि मेरा वजूद इस मानव सभ्यता को कुछ देने के लिए है लेने के लिए नहीं,क्योंकि मैं किसान हूँ।मैं बस इतना ही चाहता हूँ कि अगली फसल जब तक न पका लूँ तब तक सारे कर्जों की वसूली रोक दो।आपकी पाई पाई का हिसाब कर दूंगा।इतना तो आप भी मानते होंगे कि इस समय हर जमात,संगठन चोर हो गए लेकिन इस कलंक से मैं आज तक बचा हुआ हूँ।मेरी ईमानदारी पर कभी किसी ने शक नहीं किया।मेरे पास ईमानदारी के अलावे कुछ है भी नहीं जो आपके पास गिरवी रख सकूँ।बिजली के बिल मत भेजो क्योंकि उपरवाले ने जो बिजली गिराई है उससे उबरने में वक्त लग जायेगा।थोडा ख्याल उन बिमा कम्पनियो का रख लेना जो हमे दिए कर्जे का कुछ हिस्सा पहले ही काटकर अपने पास रख लेती है व् थोडा आपसे भी वसूल लेती है। इन पर क़ानूनी मेहरबानी जरुर कर दे।मैं अतिलालसा में जीने वाला मानव नहीं हूँ क्योंकि मैं किसान हूँ। और जाते जाते आपके प्रधान सेवक जब वापिस आये तो बता देना जमीन छीनने वाले काले कानून पर एक बार पुनर्विचार जरूर कर ले चाहे कितनी भी मुसीबते आ जाये,चाहे कितना ही कहर बरपा दो लेकिन मेरे भरोसे जीने वालों को मैं विश्वास दिलाता हूँ कि आपका घर आबाद रहे इसकी जिम्मेवारी उपर वाले ने हमें दी है वह जिम्मेदारी पूर्ण निष्ठां के साथ निभाता रहूँगा।आपको भरोसा देता हूँ उपरवाला रूठ गया,बिक गया देश का सदन


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