एक संदेश युवाओं के नाम

हमारे देश की सबसे बड़ी ताकत यहाँ की युवा पीढ़ी है. दुनिया में भारत एक मात्र ऐसा देश हैं जहाँ की सबसे ज्यादा आबादी युवा है जब भी किसी देश की सत्ता हिली है वो उस देश के युवाओं ने हिलाई है। अमेरिका की खोज कोलम्बस ने की थी! जो उम्र व् अनुभव की दुहाई देने वाले लोग है उनको मैं बताना चाहता हूँ कि कोलम्बस का बाप अपने बेटे से उम्र में भी ज्यादा था व् अनुभव में भी लेकिन जो बाप नहीं कर पाया वो बेटे ने कर दिया। एक बात मनोवैज्ञानिक अध्ययन के मुताबिक भी बताना चाहता हूँ कि 30साल की उम्र से पहले जो लोग रिस्क लेकर काम कर सकते है वो काम 30साल की उम्र के बाद कोई नहीं कर सकता! जैसे ही 30साल की उम्र सीमा पार होती है उसका दिमाग दोगला हो जाता है। काम शुरू करने से पहले नफे के बारे में कम सोचने लगता है व् भावी नुकसान की भरपाई में ज्यादा गणना करने लग जाता है। खोदे गये गड्ढे कैसे भरेंगे? भविष्य में अपने आप को बेहतर कैसे दिखा पाउँगा! इतिहास मेरे बारे में कैसे लिखा जायेगा? वो इस तरह सोचने लगता है जैसे उनके जाने के बाद दुनियां में उसके जैसे ज्ञानवान व् यौद्धा कोई दूसरा हो ही नहीं पायेगा जबकि शमशान भरे पड़े है ऐसे लोगों से जो सोचते थे मेरे बिना पत्ता भी नहीं हिल पायेगा और मानव सभ्यता आज अपने चरम की तरफ बढ़ रही है व् आगे भी बढ़ती रहेगी। शाहबाज कलंदर की दरगाह पर  मासूमों के परखचे उड़ गए लेकिन जुगनुओं को कहाँ पता कि सूरज की रौशनी में उनका क्या वजूद है? इस्लाम के कट्टरपंथी अत्याचारों के खिलाफ सूफीवाद का अवतरण हुआ था तो ब्राह्मण धर्म की कट्टरता के खिलाफ भक्तिवाद का! बीड़ा उठाने वाले लोग अपनी युवा-अवस्था में थे। जो कदम ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती, निजामुद्दीन औलिया,बाबा फरीद के साथ-साथ संत कबीर,दादू दयाल,रैदास आदि ने उठाया उसी की बदौलत आज हम खुलकर बोलने की आजादी प्राप्त कर पाए है।यही हाल इस देश के राजनेताओं का है। इंदिरा इज इंडिया-इंडिया इज इंदिरा का नारे लगाने वाले लोग अगले चुनाव में गायब हो गए तो शाइनिंग इंडिया के बूते दुबारा सत्ता हासिल करने की फ़िराक में लगे लोग मार्गदर्शक मंडल में भी जगह नहीं बना पाए! अब अपनी देश  के युवाओं को बताना चाहता हूँ कि हमारे पैदा होने के समय एक नारा गूंजता था कि अली-गली में शोर,राजीव गांधी चोर है! जो हमारी जवानी की दहलीज पर आते-आते आदर्श साइटी, कॉमनवेल्थ, कोल्, 2G स्पेक्ट्रम,यूरेनियम,इसरो आदि घोटालों तक पहुंच गया क्योंकि हमारे देश के युवा 30 साल बाद समझदार माने गए व् बुजुर्गों ने अपनी अय्याशी पर देश की अस्मिता कुर्बान कर दी।जिनके पर्चे खुल गए वो विलेन बन गए जिनके न खुले वो आज भी आदरणीय-माननीय बने घूम रहे है और हमारे भविष्य का फैसला कर रहे है।युवा लोग इनके बारे में जानकारी जुटाएं व् उसको उजागार करे ताकि जनता के सामने सच आ सके।सबको पता है कि समस्या क्या है लेकिन समस्या को साबित करने के लिए सबूत किसी के पास नहीं है!हम यहीं मात खा जाते है।दुश्मन चुपचाप सबूत जुटाकर हमारे हकों को कोर्ट में उलझाकर छोड़ देते है और हम चौक-चौराहों पर गाली देकर अपना काम पूर्ण समझ लेते है।अब इस तरह भविष्य की राह तय नहीं होगी। अब सोशल मीडिया का जमाना है लोग टीवी खोलने या अख़बार पढ़ने से पहले फेसबुक या व्हाट्सअप देखते है।इसलिए इसको हल्क़े में न ले व् इसका ज्यादा से ज्यादा उपयोग करे।मैं आज यह उलूल-जुलूल बकवास इसलिए कर रहा हूँ कि जो लोग अपने आप को देश  का सर्वेसर्वा समझने की फितरत पाले बैठे है उनको हमने इसी सोशल मीडिया की बदौलत खड़ा किया है।उनको समझना चाहिए कि जितनी मेहनत बनाने में लगती है उसकी 10%मेहनत बिगाड़ने के लिए काफी है।दुनियां की सबसे बड़ी पार्टी होने का दम्भ भरने वाली पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को सौ लोगों की सोशल मीडिया की टीम ने गिड़गिड़ाने को मजबूर कर  दिया तो आप किसी भ्रम में न रहे।हम देश  के कर्जदार लोग है। देश  को हम देना चाहते है  लेकिन हमारे फर्ज निभाने के कर्तव्य में किसी ने रोड़ा अटकाने की कोशिश की या दलाली का दाग देश  के दामन पर आया तो हिसाब हम लेकर छोड़ेंगे।तेजी से बदलते हालातों के बीच उम्र व् संस्कारों की बेतरतीब खड़ी बेड़ियों का बंधन अब ढीला पड़ेगा।अब तय आपको करना है कि हम आपकी छत्रछाया में आगे का रास्ता तलाशे या आपको किनारे करके उजालों का रुख करे!
देखता हूँ भंवर में फंसे फलसफे को
सोचता हूँ लालच में बंधे जमीर को
बाबा आपसे हौंसला हासिल करता हूँ।
ये बिकते नेता,भटकते युवा लोग
न जाने कहाँ रुकेगी इनकी बर्बादी
आपसे अपना ईमान जाहिर करता हूँ।





 नवभारत टाइम्स 

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